बौद्ध धर्म और जैन धर्म मैं समानताएं और असमानताएँ
बौद्ध धर्म और जैन धर्म में निम्नलिखित समानताएं हैं
1. बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों ने अपने विचारों को उपनिषदों के सांख्य-दर्शन से प्राप्त किया। ईश्वर में अविश्वास , जीवन दुखमय है, कर्म सिद्धांत ,जीव के आवागमन का सिद्धांत आदि ऐसे विचार हैं जो सांख्य दर्शन से प्राप्त होते हैं । इस प्रकार दोनों धर्मों के विचारों का मूल स्रोत समान था ।
2. दोनों धर्मों की उत्पत्ति भारत के उत्तर -पूर्वी भाग में हुई तथा आरंभ में दोनों के प्रचार के स्थान प्राय: समान थे ।
3. दोनों धर्मों ने हिंदु धर्म के कर्मकांड, जाति भेद ,पशु बलि, ब्राह्मणों की सामाजिक श्रेष्ठता आदि का विरोध किया।
4.दोनों धर्मों के प्रवर्तक क्षत्रिय राजकुमार थे और दोनों ने क्षत्रिय शासकों से संरक्षण प्राप्त किया ।
5. दोनों धर्मों ने नैतिक आचरण पर बल दिया।
6. आरंभ में दोनों ने संस्कृत भाषा का विरोध किया। दोनों धर्मों के प्रवर्तकों ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाषा में दिए।
7. दोनों धर्मों ने वेदों में विश्वास प्रकट नहीं किया।
8.दोनों धर्मों ने कर्म सिद्धांत को स्वीकार किया और यह विश्वास प्रकट किया कि मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार फल की प्राप्ति होती है।
9. दोनों धर्मों ने मोक्ष अथवा निर्वाण की प्राप्ति को मनुष्य का परम लक्ष्य स्वीकार किया।
10. दोनों धर्मों ने ईश्वर में अविश्वास प्रकट किया ।
11.दोनों धर्मों ने अहिंसा पर बल दिया।
बौद्ध धर्म और जैन धर्म में बहुत असमानताएँ हैं जिनके कारण इन दोनों धर्मों का अस्तित्व एक दूसरे से पूर्णतया पृथक रहा है।
बौद्ध धर्म और जैन धर्म में बहुत असमानताएँ हैं जिनके कारण इन दोनों धर्मों का अस्तित्व एक दूसरे से पूर्णतया पृथक रहा है।
1. बौद्ध धर्म और जैन धर्म की आत्मा और विचार में अंतर है ।जैन धर्म वनस्पति ,पत्थर और जल में भी आत्मा अथवा जीव का निवास स्वीकार करता है ,जबकि बौद्ध धर्म इसे स्वीकार नहीं करता।
2. दोनों धर्मों में अहिंसा पर बल दिए जाने में अंतर है ।जैन धर्म में अहिंसा पर अत्यधिक बल दिया गया है ,जबकि बौद्ध मातावलंबी इसके संबंध में बहुत उदार रहे है।
3.जाति भेद का विरोध जैन धर्म की तुलना में बौद्ध धर्म ने अधिक किया।
4. जैन धर्म में अहिंसा के नकारात्मक स्वरूप पर अधिक बल दिया गया है ,अर्थात हिंसा न किए जाने पर बल है ,जबकि बौद्ध धर्म में अहिंसा के सकारात्मक स्वरूप पर अत्यधिक बल दिया गया है ,अर्थात जीव मात्र से प्रेम किए जाने पर बल है।
5. जैन धर्म में कठोर तप और त्याग पर अधिक बल दिया गया है ,जबकि बौद्ध धर्म निर्वाण प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग को स्वीकार करता है।
6. जैन धर्म में गृहस्थ पुरुष और स्त्रियां निर्वाण प्राप्त नहीं कर सकती जबकि, बौद्ध धर्म में यह संभव है।
7. जैन धर्म में कर्म को समाप्त करके मृत्यु के पश्चात ही निर्वाण प्राप्ति संभव है ,जबकि बौद्ध धर्म में इसी जीवन संसारिक अाशक्तियों को नष्ट कर देने से निर्वाण प्राप्ति संभव है।
8. जैन धर्म में संघ व्यवस्था को उतना अधिक बल नहीं दिया गया है ,जितना कि बौद्ध धर्म में।
9. जैन धर्म भारत से बाहर नहीं फैला तथा भारत में भी उसका बहुत अधिक विस्तार नहीं हुआ, जबकि बौद्ध धर्म विदेशों में भी फैला और एक समय में संपूर्ण भारत का प्रमुख धर्म बन गया।
Mcq : -
1. बौद्ध तथा जैन दोनों ही धर्म विश्वास करते हैं कि ?
a. मृत्यु के पश्चात ही मोक्ष संभव है ।
b. कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत सही है।
c. स्त्री तथा पुरुष दोनों ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
d. जीवन में मध्यम मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है।
Ans: b
2. बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में कौन सी समानता नहीं है ?
a. स्त्रियों का संघ में प्रवेश।
b. अहिंसा ।
c. वैश्य वर्ग का समर्थन।
d. कठोर तप में विश्वास
Ans:- d
3. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान थे ?
a. तप और भोग की अति का परिहार ।
b. वेद प्रामान्य के प्रति अनास्था ।
c. कर्मकांडों की फलवता का निषेध ।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए ।
a. केवल 2 और 3
b. केवल 1
c. केवल 1 और 3
d. 1 ,2 और 3
Ans:- a
4. बौद्ध धर्म और जैन धर्म में क्या समानता है ?
a. दोनों ने जाति प्रथा का विरोध किया ।
b. दोनों ने पुनर्जन्म का सिद्धांत माना ।
c. दोनों ने अहिंसा और सत्य का प्रचार किया ।
d. उपरोक्त सभी।
Ans:- d
5. निम्नलिखित में से कौन सी बात बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में समान नहीं है ?
a. वेदों के प्रति उदासीनता ।
b. आत्म दमन ।
c. अहिंसा ।
d. रीति-रिवाजों की अस्वीकृति ।
Ans:- b
और पढ़े :-
# प्राचीन भारतीय इतिहास का कालक्रम
2. दोनों धर्मों में अहिंसा पर बल दिए जाने में अंतर है ।जैन धर्म में अहिंसा पर अत्यधिक बल दिया गया है ,जबकि बौद्ध मातावलंबी इसके संबंध में बहुत उदार रहे है।
3.जाति भेद का विरोध जैन धर्म की तुलना में बौद्ध धर्म ने अधिक किया।
4. जैन धर्म में अहिंसा के नकारात्मक स्वरूप पर अधिक बल दिया गया है ,अर्थात हिंसा न किए जाने पर बल है ,जबकि बौद्ध धर्म में अहिंसा के सकारात्मक स्वरूप पर अत्यधिक बल दिया गया है ,अर्थात जीव मात्र से प्रेम किए जाने पर बल है।
5. जैन धर्म में कठोर तप और त्याग पर अधिक बल दिया गया है ,जबकि बौद्ध धर्म निर्वाण प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग को स्वीकार करता है।
6. जैन धर्म में गृहस्थ पुरुष और स्त्रियां निर्वाण प्राप्त नहीं कर सकती जबकि, बौद्ध धर्म में यह संभव है।
7. जैन धर्म में कर्म को समाप्त करके मृत्यु के पश्चात ही निर्वाण प्राप्ति संभव है ,जबकि बौद्ध धर्म में इसी जीवन संसारिक अाशक्तियों को नष्ट कर देने से निर्वाण प्राप्ति संभव है।
8. जैन धर्म में संघ व्यवस्था को उतना अधिक बल नहीं दिया गया है ,जितना कि बौद्ध धर्म में।
9. जैन धर्म भारत से बाहर नहीं फैला तथा भारत में भी उसका बहुत अधिक विस्तार नहीं हुआ, जबकि बौद्ध धर्म विदेशों में भी फैला और एक समय में संपूर्ण भारत का प्रमुख धर्म बन गया।
Mcq : -
1. बौद्ध तथा जैन दोनों ही धर्म विश्वास करते हैं कि ?
a. मृत्यु के पश्चात ही मोक्ष संभव है ।
b. कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत सही है।
c. स्त्री तथा पुरुष दोनों ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
d. जीवन में मध्यम मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है।
Ans: b
2. बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में कौन सी समानता नहीं है ?
a. स्त्रियों का संघ में प्रवेश।
b. अहिंसा ।
c. वैश्य वर्ग का समर्थन।
d. कठोर तप में विश्वास
Ans:- d
3. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान थे ?
a. तप और भोग की अति का परिहार ।
b. वेद प्रामान्य के प्रति अनास्था ।
c. कर्मकांडों की फलवता का निषेध ।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए ।
a. केवल 2 और 3
b. केवल 1
c. केवल 1 और 3
d. 1 ,2 और 3
Ans:- a
4. बौद्ध धर्म और जैन धर्म में क्या समानता है ?
a. दोनों ने जाति प्रथा का विरोध किया ।
b. दोनों ने पुनर्जन्म का सिद्धांत माना ।
c. दोनों ने अहिंसा और सत्य का प्रचार किया ।
d. उपरोक्त सभी।
Ans:- d
5. निम्नलिखित में से कौन सी बात बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में समान नहीं है ?
a. वेदों के प्रति उदासीनता ।
b. आत्म दमन ।
c. अहिंसा ।
d. रीति-रिवाजों की अस्वीकृति ।
Ans:- b
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# प्राचीन भारतीय इतिहास का कालक्रम
शत्रुंजय मंदिर, को दुनिया के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से कई पुरातत्वविदों और धार्मिक वास्तुकला के विद्वानों द्वारा माना जाता है। अलंकृत ढंग से और त्रुटिहीन रूप से बनाए गए मंदिरों के भीतर चौबीस तीर्थंकरों की कई सैकड़ों मूर्तिकला संगमरमर की मूर्तियां मिली हैं।
ReplyDeleteI accept bauddh dharm
ReplyDeleteGreat Article, Keep doing the good work Buddhism and Jainism
ReplyDeleteNice post
ReplyDeleteAlso visit
बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे